कैसे किया विष्णु जी ने नारद जी की इस शंका का निवारण कि गरुड़ को मंदिरों में विष्णु जी के समक्ष क्यों रखा जाता है ?
चलिए इससे जुडी एक पौराणिक कथा आपको सुनाते हैं।
एक दिन नारद मुनि भगवान विष्णु जी के पास गए और उनसे थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूछा, “आप अपने मंदिरों में गरुड़ की छवियों को अपने समक्ष रखना क्यों पसंद करते हैं ? मैं आपका सबसे बड़ा भक्त हूं , फिर आप गरुड़ की जगह मेरी छवि को अपने समक्ष रखने की अनुमति क्यों नहीं देते हैं।
इससे पहले कि विष्णु जी उस प्रश्न का उत्तर दे पाते, उन्होंने वैकुंठ के बाहर , धरती लोक पर किसी के गिरने की आवाज़ सुनी ! विष्णु जी ने नारद जी को जाकर देखने को कहा कि देखिये बाहर क्या घटना घटी है। नारद जी जांच के लिए निकले और जवाब लेकर आए कि “एक महिला को ठोकर लगी और वह गिर गई” !
उसका नाम क्या था ? विष्णु जी ने पूछा . नारद जी फिर गए, महिला से बात की और जवाब लेकर वापस आए । “शारदा”.
वह कहाँ जा रही थी? विष्णु जी ने फिर पूछा। नारद जी फिर बाहर गए और उत्तर लेकर वापस आए। “वह दूध बेचने जा रही थी”।
वह कैसे गिरी ? विष्णु जी ने फिर प्रश्न किया । इस बार नारद जी ने सोचा , “ कि प्रभु एक ही बार में सभी प्रश्न क्यों नहीं पूछ लेते“ !! । फिर भी नारद जी बाहर गए और उत्तर लेकर आए। “उसने एक सांप देखा और डर के मारे वह नीचे गिर गई “। और कुछ , कोई और प्रश्न भी है आपका ? नारद जी ने थोड़ा झुंझलाकर पूछा।
क्या उसके सभी बर्तन टूट गए हैं और सारा दूध खराब हो गया है ? विष्णु जी ने अगला प्रश्न पूछा !! ; आप ये सारे सवाल क्यों पूछना चाहते हैं ? नारद जी ने चिढ़कर कहा ।
अब भगवन को भी नारद जी को चिढ़ाने में मज़ा आ रहा था ; वे बोले ! अगर कुछ दूध बचा हो तो मैं वो सारा दूध खरीदना चाहता हूँ । नारद जी फिर बाहर गए और उत्तर लेकर आए।
उन्होंने कहा, उसके पास अभी भी दूध का एक बर्तन बचा है लेकिन वह इसे दोगुने दाम पर बेचना चाहती है। नारद जी ने उत्तर दिया।
तो मुझे उसे कितना भुगतान करना चाहिए ? विष्णु ने फिर पूछा । नारद अब धैर्य खो रहे थे।
विष्णु जी समझ गए थे कि नारद जी अब धैर्य खो रहे हैं इसलिए उन्होंने कहा , नारद जी आप इसे रहने दीजिये, मैं जवाब पाने के लिए किसी और को ढूंढ लूंगा।
उसी समय वहां गरुड़ आता है। विष्णु जी गरुड़ को बाहर जाकर देखने के लिए कहते हैं कि उन्होंने बाहर किसी के गिरने की आवाज सुनी है। गरुड़ के जाने के बाद विष्णु जी ने नारद से कहा, “देखते हैं कि गरुड़ क्या करता है ?”
गरुड़ वापस आकर कहते हैं, यह शारदा नाम की एक ग्वालिन है। सांप को देखकर डर के मारे वह गिर पड़ी। वह दूध के दो बर्तन ले जा रही थी। हालाँकि एक बर्तन अभी भी बचा था , पर वह उसे दोगुने मूल्य पर बेचना चाहती थी और इसके बदले तांबे के चार सिक्के चाहती थी। मैंने सोचा कि दूध गिरने से उसका काफी नुकसान हो गया है और उसे बचे हुए दूध का ज्यादा दाम मिलना चाहिए , इसलिए मैंने आठ ताम्बे के सिक्के दे कर वो दूध का बर्तन उससे खरीद लिया ।
नारद को उनका संदेश मिल चुका था और वे समझ गए थे कि गरुड़ को मंदिरों में विष्णु जी के समक्ष क्यों रखा जाता है। इसलिए उन्होंने विष्णु जी को प्रणाम किया और बिना कुछ कहे चुपचाप वहां से चले गए , और प्रभु मंद मंद मुस्कुराते रहे !!
========== ===== ===== == ====
Blog के साथ साथ इस कथा को आप हमारे Youtube Channel पर भी सुन सकते हैं। नीचे दिए हुए Video पर क्लिक करें।
अगर आप हमारे YouTube Channel को subscribe कर लेंगे and Bell icon को भी press कर लेंगे तो जब भी हम कोई नयी Story and Quotes publish करेंगे तो आपको उसकी notification मिलती रहेगी।
Our YouTube Channel => https://www.youtube.com/@Amrit.Manthan204