क्या सच में हमारे कर्म लौटकर वापिस आते हैं ?

Blog आपने ये तो अवश्य ही सुना होगा कि “जैसी करनी वैसी भरनी”। तो क्या जो भी कर्म हम करते हैं, अच्छे या बुरे क्या वे लौट के हमारे पास वापिस आते हैं ?

चलिए इससे जुडी एक पौराणिक कथा आपको सुनाते हैं। 

महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद श्रीकृष्ण पांडवों सहित महाराज धृतरास्ट्र से मिलने जाते हैं।  उनसे मुलाकात के बाद जब श्रीकृष्ण और पांडव वापिस जाने लगते हैं, तो धृतरास्ट्र श्री कृष्ण को रोक के कहते हैं,  हे माधव अपने 100 पुत्रों की मृत्यु से मैं बहुत दुखी हूँ, इसलिए जो दिव्य दृस्टि महृषि व्यास ने मेरे सारथि संजय को दी थी उससे मैंने अपने पिछले 72 जन्मो तक के अपने सारे कर्म देखे लेकिन मेरा कोई भी ऐसा कर्म मुझे नहीं मिला जिसकी वजह से मेरे पूरे कुल का नाश हो गया, तो फिर मैंने ऐसा क्या पाप किया है जिससे कि आज मैं पुत्र विहीन हो गया हूँ ?

श्री कृष्ण बोले, हे राजन आपने अपने पिछले 72 जन्मो तक के कर्मो को तो देख लिया, लेकिन इस रहस्य को जानने से थोड़ा पहले ही आप लौट आये। अगर आप अपने पिछले 73 वें जनम के कर्मों को भी देख लेते तो आपको अपने इस सवाल का जवाब मिल जाता। ये सुनते ही धृतरास्ट्र ने उत्सुकता से श्रीकृष्ण से कहा, हे माधव 73 वें जनम में मैंने ऐसा क्या पाप किया था जिसकी सजा मुझे इस जनम में मिली ?

श्रीकृष्ण बोले, राजन आपके 73 वें जन्म में एक बार आप एक हिरन का शिकार करने के लिए उसका पीछा कर रहे थे, तब वो हिरन घनी झाड़ियों में जा के छुप गया, झाड़ियां इतनी घनी थीं कि आपका बाण उस हिरन को नहीं लग सकता था, उस हिरन को झाड़ियों से बाहर निकालने के लिए आपने उन झाड़ियों को आग लगा दी। आग लगने से वो हिरन तो निकल के भाग गया लकिन उन झाड़ियों में एक सांप के बच्चे जल कर मर गए और उस सांप का पूरा परिवार ख़त्म हो गया। हे राजन ! इस जन्म में आपने अपने उसी कर्म की भरपाई की है। श्रीकृष्ण आगे बोले, कोई भी पाप चाहे वो जाने में किया गया हो या अनजाने में, पाप पाप ही होता है और अगर उसका पश्चाताप न किया जाये तो कभी न कभी उसकी सजा हमें जरूर भुगतनी पड़ती है। ये सुनने के बाद धृतरास्ट्र फूट फूट के रोने लगा।

दोस्तों आज science ने भी ये सिद्ध कर दिया है, that “Energy cannot be created nor destroyed, it can only be transferred from one place to another in this universe and always tried to reach to its origination”.

अर्थात हम जो भी कर्म करते हैं वो एक energy  की form में इस universe  में travel करता रहता है और कभी न कभी अपने original source पे लौट के जरूर आता हैं, वो एनर्जी या कर्म चाहे अच्छे हों या बुरे वे उसी फॉर्म में हमारे पास वापिस आते हैं, उसके लिए चाहे कई जन्म या कई युग ही क्यों न लग जाएँ, वो energy कभी destroy नहीं होती। तभी तो कहते हैं की अच्छे कर्म का हमेशा अच्छा और बुरे कर्म का हमेशा बुरा नतीजा ही होता है। इसीलिए आज हम वो जो भी कर्म कर रहे हैं वो कभी न कभी लौट के जरूर हमारे पास आएगा चाहे उसके लिए कितना भी वक्त लग जाये, पर वो कर्म लौट के आएगा जरूर।

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